तुम जोश हो..
बादलों से गिरी मुलायम
ओस हो
शक्ति का पुंज हो
अनन्त का अहसास हो
रुको नही, झुको नही
जब ठान लो तो चली चलो
नही कोई पथ डिगा सकते कदम,
बे-परवाह तुम बढ़ी चलो
इस धरा पर तुम ख़ास हो
जीवन्त अनूठा आत्मविश्वाश हो
स्नेह, प्रेम, सृष्टि हो.. नारी हो तुम
माँ, बहन, पत्नी, दोस्त..
हर रिश्ते की क्यारी हो तुम
धरती की धुरी हो, पूरा आकाश हो
हवा के कण में छुपी हर्षोल्लास हो
2017-Mar-08
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